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३ कहानिया हिंदी में | 3 Story in Hindi

 


३ कहानिया हिंदी में | 3 Story in Hindi





बंदर और मगरमच्छ की मित्रता


एक समय की बात है, एक अकेला बंदर एक जंगल में बसने आया। वह दूसरे जानवरों से अकेलापन महसूस कर रहा था। एक दिन उसे एक बहुत ही अद्वितीय और रहस्यमय जगह पर पहुंचने की इच्छा हुई। वह जंगल के अंदर चला गया और एक गहरे झरने के पास पहुंचा।

वहां उसने एक बड़े से मगरमच्छ को देखा, जो झरने के नीचे बैठा हुआ था। वह उससे बात करने के लिए उसके पास गया और बोला, "नमस्ते! मेरा नाम बंदर है। क्या मैं आपके पास बैठ सकता हूँ?"

मगरमच्छ ने अपनी बड़ी और तेज आँखों से उसे देखा और कहा, "हां, बंदर, आप यहां बैठ सकते हैं। पर याद रखिए, मैं बहुत जल्दी दौड़ सकता हूँ, तो कृपया मेरे पास से दूर रहें।"

बंदर उसकी चेतावनी को समझ गया और ध्यान रखने लगा। धीरे-धीरे वे दोनों दोस्त बन गए और हर रोज झरने के पास मिलने आने लगे। वे खेलते, उछलते और बहुत मस्ती करते थे। दिन भर बंदर और मगरमच्छ एक साथ वक्त बिता रहे थे।

एक बार जब बंदर और मगरमच्छ बात कर रहे थे, तभी बंदर ने पूछा, "मगरमच्छ, तुम इतनी धीरज और चुस्ती से पानी में कैसे दौड़ सकते हो?"

मगरमच्छ ने मुस्कानी देते हुए कहा, "देखो बंदर, मेरे पास तो ज्यादा ताकत नहीं है, लेकिन मैं धीरज से काम लेता हूँ। मैं हमेशा अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करता हूँ और धीरे-धीरे उसे प्राप्त करता हूँ। यदि तुम धीरज से काम लोगे तो तुम भी पानी में दौड़ सकोगे।"

बंदर ने मगरमच्छ के उपदेश को सुना और उसे अपने जीवन में लागू करने का निश्चय किया। उसने धीरे-धीरे शुरूआत की और अपनी ताकत और धैर्य को बढ़ाने के लिए मगरमच्छ से सीखा। धीरे-धीरे वह भी पानी में दौड़ना सीख गया।

वक्त बीतता गया और बंदर और मगरमच्छ की मित्रता और मजबूत होती गई। उन्होंने एक-दूसरे के साथ कई चुनौतियों का सामना किया और उन्हें मिलकर पार किया। वे एक-दूसरे की मदद करते और एक दूसरे की शक्तियों को प्रशंसा करते।

बंदर और मगरमच्छ की मित्रता जंगल में एक मिसाल बन गई। जब लोग उन्हें साथ देखते तो वे हैरान और प्रशंसापूर्वक बोलते, "देखो, वे कितनी अद्भुत मित्रता रखते हैं और कितनी मददगार हैं!"

इस कहानी से हमें यही सिख मिलती है कि मित्रता कोई सामान्य बात नहीं है। जब हम अपने दोस्तों के साथ साझा करते हैं, उनकी समझ में आते हैं और उनसे सीखते हैं, तो हमारा जीवन खुशहाल और अद्वितीय हो जाता है।


दोस्ती की मिसाल: बंदर और मगरमच्छ की कहानी

एक गहरे जंगल में एक खूबसूरत झरना था। उस झरने के नीचे बसने वाले वन्य जीव अपनी ज़िंदगी का आनंद लेते थे। एक तरफ बंदर और दूसरी तरफ मगरमच्छ।

बंदर एक मस्ती करने वाला और चहेटने वाला जानवर था। वह हमेशा दूसरे जीवों के साथ खेलने और मस्ती करने के लिए तत्पर रहता था। वह झरने के पास खुदाई करने के लिए आया था।

वहां उसने एक बड़े मगरमच्छ को देखा जो सुकून से झरने के नीचे बैठा हुआ था। बंदर ने देखा कि मगरमच्छ अपनी आंखें बंद करके सुख का आनंद ले रहा है। उसे यह देखकर बंदर बहुत हैरान हुआ। उसने मगरमच्छ के पास जाकर कहा, "हाय, मगरमच्छ, तुम यहां क्या कर रहे हो? तुम इतना शांत क्यों हो रहे हो?"

मगरमच्छ ने अपनी आंखें खोली और धीरे से बंदर को देखा। उसने धीरे से कहा, "हाय, बंदर! मैं यहां ज़िंदगी का सुख और शांति ढूंढ़ रहा हूँ। झरने की ध्वनि, जल की लहरें और सुकून भरी वाताएं मेरे मन को प्रशान्त करती हैं।"

बंदर ने हैरानी से पूछा, "क्या मुझे भी यहां बैठकर शांति मिल सकती है?"

मगरमच्छ ने मुस्कानी देते हुए कहा, "हाँ, बंदर, तुम यहां आकर शांति का आनंद ले सकते हो। लेकिन ध्यान देना, मैं तेज़ी से चलता हूँ, इसलिए जब मैं पानी में दौड़ूंगा तो तुम दूर खड़े रहना।"

बंदर ने मगरमच्छ के वचन को स्वीकार किया और वहां बैठ गया। वे दोनों दोस्त बन गए और हर रोज़ झरने के पास मिलने आने लगे। उन्होंने साथ में खेलना और मस्ती करना शुरू कर दिया।

एक दिन बंदर ने मगरमच्छ से पूछा, "मगरमच्छ, तुम पानी में इतनी तेज़ी से कैसे दौड़ते हो?"

मगरमच्छ ने धीरे से हंसते हुए कहा, "बंदर, मैं तेज़ी से नहीं दौड़ पाता, लेकिन मैं हमेशा धीरज रखता हूँ। मैं अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करता हूँ और सब्र से आगे बढ़ता हूँ। अगर तुम धीरज और सब्र से काम लोगे, तो तुम भी अपनी ताकत और धैर्य का इस्तेमाल करके पानी में दौड़ सकोगे।"

बंदर ने मगरमच्छ के उपदेश को सुना और उसे अपने जीवन में लागू करने का निश्चय किया। उसने धीरे-धीरे शुरूआत की और अपनी ताकत और धैर्य को बढ़ाने के लिए मगरमच्छ से सीखा। धीरे-धीरे वह भी पानी में दौड़ना सीख गया।

वक्त बीतता गया और बंदर और मगरमच्छ की मित्रता और मजबूत होती गई। उन्होंने एक-दूसरे के साथ कई चुनौतियों का सामना किया और उन्हें मिलकर पार किया। वे एक-दूसरे की मदद करते और एक दूसरे की शक्तियों को प्रशंसा करते।

बंदर और मगरमच्छ की मित्रता जंगल में एक मिसाल बन गई। जब लोग उन्हें साथ देखते, तो वे हैरान और प्रशंसापूर्वक बोलते, "देखो, वे कितनी अद्भुत मित्रता रखते हैं और कितनी मददगार हैं!"

इस कहानी से हमें यही सिख मिलती है कि मित्रता कोई सामान्य बात नहीं है। जब हम अपने दोस्तों के साथ साझा करते हैं, उनकी समझ में आते हैं और उनसे सीखते हैं, तो हमारा जीवन खुशहाल और अद्वितीय हो जाता है।


खरगोश और कछुआ: एक दोस्ती की कहानी

एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। वे आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। रोज़ाना सुबह होते ही वे जंगल में खेलने के लिए निकलते और खुशी-खुशी दौड़ते रहते थे।

एक दिन खरगोश ने कछुए को कहा, "मेरे प्यारे दोस्त, तुम कितनी धीमी और निकटता से चलते हो। मुझे तुमसे कभी पीछे छूट नहीं जाती।"

कछुआ ने मुस्कानते हुए जवाब दिया, "हाँ, मैं धीमा हूँ, लेकिन मैं धैर्य और स्थिरता से चलता हूँ। इसलिए मैं तुम्हें कभी छोड़कर पीछे नहीं रहता।"

दिन बितते गए और दोनों दोस्त हर रोज़ जंगल में मिलते रहते थे। उन्होंने एक-दूसरे की मदद की और साथ में कई खेल खेले। वे अपने जीवन के आनंद का लुत्फ़ उठा रहे थे।

एक दिन वे दौड़ते-दौड़ते एक नदी तक पहुँच गए। खरगोश ने कछुए से कहा, "देखो, नदी पार करनी है। हमारी ताकत के आधार पर मुझे पहले पार करने दो।"

कछुआ ने खरगोश की ओर एक प्यार भरी नज़र देखी और कहा, "मेरे दोस्त, हमारी दोस्ती इतनी मजबूत है कि हमें साथ में नदी पार करनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि हम मिलकर इस कठिनाई को आसानी से पार करेंगे।"

खरगोश और कछुआ ने साथ मिलकर मेहनत से नदी पार की। वे दोनों एक दूसरे की मदद करके नदी के पार सफलतापूर्वक पहुँच गए। उनकी दोस्ती ने उन्हें कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति दी थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एक सच्चे दोस्त की मित्रता और सहयोग हमें हर मुश्किल से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। चाहे जिंदगी की नदियों को पार करना हो या जीवन के किसी भी चुनौती से निपटना हो, सच्चे दोस्त हमेशा हमारे पास होते हैं और हमें सफलता की ओर प्रेरित करते हैं।

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